शिमला। डायरेक्टर राजकंवर की एक फिल्म साल 2000 में एक फिल्म रिलीज हुई थी। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कितनी चली ये तो याद नहीं, लेकिन इसका एक गाना हर युवा की जु़बान पर था। यही गाना वीरभद्र सिंह के परिवार, खास तौर पर विक्रमादित्य सिंह पर सटीक बैठ रहा है।
गाने के बोले थे…. ऐसा पहली बार हुआ 17-18 सालों में…
दरअसल पूर्व सीएम स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के पुत्र और कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह इन दिनों सरकारी कर्मचारी संगठनों के साथ-साथ ट्रोलर्स के निशाने पर हैं। उधर, अब खबर आ रही है कि शिमला ग्रामीण विधानसभा के सुन्नी में दिए गए पटक-पटक वाले बयान पर कांग्रेस हाईकमान ने भी तल्खी जताई है।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान ने विक्रमादित्य को संयम बरतने के लिए कहा है। आपको बता दें कि उपचुनावों में मंडी संसदीय सीट से प्रतिभा सिंह को टिकट देने की चर्चा के बीच एकाएक विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली तलब किया था।
विक्रमादित्य सिंह भी रविवार सुबह चार बजे शिमला से दिल्ली के लिए रवान हो गए थे। अब खबर आ रही है कि विक्रमादित्य को उनके बयान के लिए फटकार लगाई गई है। साथ ही साथ भविष्य में भी संयम बरतने के लिए कहा गया है।
गौरतलब रहे कि तीन विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी नामों पर खूब माथापच्ची कर रही है। टिकट के नामों पर चर्चा के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं।

इसी बीच विक्रमादित्य सिंह के धमकी भरे बयान ने हिमाचल की शांत फिजाओं में गर्मी ला दी है। बताया जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं को विक्रमादित्य के इस बयान के बाद चुनाव को लेकर काफी नेगेटिव फीडबैक मिला था। यही नहीं, विक्रमादित्य के बयान के बहाने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने अपनी दूसरी खीज भी निकालने की पूरी कोशिश की।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के ही कई नेताओं ने यह सूचना भी दिल्ली पहुंची थी कि विक्रमादित्य लगातार सोशल मीडिया में पार्टी लाइन से हटकर बातें करते हैं। इससे पार्टी के दूसरे विधायकों और अन्य नेताओं को भी जवाब देना मुश्किल हो रहा है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान को इस बात से अवगत करवाया था कि पिछले कुछ समय से विक्रमादित्य खुद को वीरभद्र के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर पार्टी के अन्य नेताओं से ऊपर प्रचारित करने में जुटे हैं, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है।
अब कांग्रेस हाईकमान ने सभी मसलों को लेकर विक्रमादित्य सिंह को संयमित रहने और पार्टी लाइन से बाहर बात ना करने की हिदायत दी है। उधर, इस संदर्भ में जब कांग्रेस के कुछ नेताओं से बात करनी चाही तो उन्होंने इस मुद्दे पर कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया।
हालांकि ऐसा 17-18 सालों में नहीं बल्कि कई दशकों के बाद हुआ है जब कांग्रेस हाईकमान ने वीरभद्र परिवार को संयम बरतने को लेकर तल्खी दिखाई हो। अलबत्ता वीरभद्र सिंह के रहते हुए सभी जानते हैं कि वो इकलौते ऐसे नेता थे जो हमेशा अपनी शर्तों पर चलते थे।
कांग्रेस हाईकमान की भी उनके सामने एक नहीं चलती थी, लेकिन उनके निधन के बाद इस राजपरिवार के लिए खास पर तौर पर विक्रमादित्य सिंह के लिए सफर लंबा और चुनौतीपूर्ण होने वाला है।