HIMACHAL NAZAR | मंडी जिला के सरकाघाट में आस्था के नाम पर बुजुर्ग महिला के साथ हुई बर्बता मामले में तो फिलहाल 21 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें 14 पुरुष और 7 महिलाएं शामिल हैं। अब मामला न्यायालय में विचाराधीन हो गया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर सोशल मीडिया न होता और पूरे प्रकरण की वीडियो रिकॉर्डिंग न होती तो क्या मामला दब जाता।
ये सारे सवाल इसलिए उठ रहे हैंं क्योंंकि समाचार पत्र दिव्य हिमाचल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्ग महिला के अलावा दो अन्य लोगोंं को भी डराया धमकाया गया था। मामला पुलिस के पास पहुंचा और पुलिस गांव आई भी देवता के आगे नतमस्तक हो कर चली गई। शिकायतकर्ता ने गांववासियों के दबाव में आकर शिकायकत वापस ले ली।
पीड़ित बुजुर्ग महिला की बेटी के मुताबिक तीन-चार बार पहले भी उनकी मां पर हमले किए जा चुके थे। 23 अक्तूबर को भी थाना में शिकायत दी गई थी। इसके बाद वीडियो वाला प्रकरण छह नवंबर को घटित हुआ। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बुजुर्ग महिला कितने बड़े सदमे में थी कि उनसे पूरे घटनाक्रम का जिक्र अपनी बेटी से भी नहीं किया था।
नौ नवंबर को वीडियो वायरल होने के बाद जब बेटी ने देखा तब उसे पता चला कि मां के साथ गांंववासियों ने देवता के नाम पर क्या किया है। अब यहां यही सवाल उठता है कि क्या अगर सोशल मीडिया न होता और ये वीडियो रिकार्डिंग न होती तो पूरे मामले का कभी पता ही नहीं चल पाता।
हो सकता बुजुर्ग महिला कभी बेटी को बताती ही नहीं और मामला उजागर ही नहीं होता। देव आदेश के नाम पर प्रताड़ित हुई वृद्धा यह बोज आखिरी सांस तक अपने साथ रखती। या शायद शिकायत होती भी तो शिकायत को प्रमाणित करने के लिए कोई भी गांववासी मुंह ही नहीं खोलता और यह सिर्फ एक शिकायत ही बनकर रहती।
फायदेमंद और घातक दोधारी तलवार है सोशल मीडिया
सरकाघाट प्रकरण में सीधे तौर पर सोशल मीडिया ने बहूत बड़ी सकारात्मक भूमिका निभाई है, लेकिन सोशल मीडिया वो दो धारी तलवार है जो किसी को न्याय भी दिलवा सकता है और किसी की जिंदगी भी तबाह कर सकता है। इसलिए सजग नागरिक की तरह ही सोशल मीडिया में कुछ भी शेयर करने से पहले उसकी सत्यता जरूर जांचें।
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